नर्मदा बचाव आंदोलन से कुछ शीख सकते है केवडिया के आदिवासी ? : रोमेल सुतरिया

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केवडिया “बांध नहीं बनेगा कोई नहीं हटेगा” से जो हालात हुए ऊस दिशा ना जाये यही उम्मीद।

ऊस वक्त की बात है जब सरकार पानी छोडने लगी थी और लोगो के गाँव घर सहित डुबने की कगार पर थे ।

सवाल था घरो को खाली करवाया जाये या नहीं?

अगर नारे पर अडते तो विस्थापित हक पर बात होतीं ना होती पर लोगो के गाँव,जमीन,मकान सहित सामान तक डूब जाते डूब जाते ।

ऐतिहासिक आदिवासी जमीन आंदोलन से आज परिचित होना बेहद जरूरी है । ताकि ईस सीख से केवडिया के आदिवासी युवा साथी अपना रास्ता तय कर पायें ।

आखिर में कई लोगों ने “बांध नहीं बनेगा कोई नहीं हटेगा ” से अलग होकर अपना सामान डुबने से बचाने कोशिश की थी जिससे नेता नाखुश हुए पर कई प्रतिनिधि ओ ने विस्थापितो के हक की आवाज ऊठाना शुरू कर दिया ।

केवडिया SOU के विस्थापित या जमीन गवाने वालों की स्थिति पर आज भी हम महत्वपूर्ण कदम नहीं ऊठा पाये या नहीं कोई ठोस बातचीत हुईं हैं या ईस बात की तैयारी या जानकारी तक नहीं है की अगर जमीन छीन ही गई तो सरकार क्या सुविधाए देने की बात कर रही है?

जमीन नही देना मोस्ट प्रायोरिटी है पर एक छोर पर ” बांध नहीं बनेगा कोई नहीं हटेगा ” की सीख से आयोजन करना भी जरूरी है ।

माना की केवडिया में पानी नहीं छोडा जा रहा पर विस्थापितो की स्थिति की कल्पना ही डरा देती है वह भी तब जब बीना पुनर्वशन निति की बात किये कीसीको विस्थापित होने की बारी आ रही हो ।

सभी १४ गाँव के आदिवासी साथी समझदारी से दिशा सुनिश्चित करे एवं राजनैतिक हथियार ना बन जाए ईसका सबसे अधिक ख्याल रखना होगा ।

आंदोलन के लीए उसका हेतु और मांग बहुत ही महत्वपूर्ण है जीस पर जरुरी काम होना बाकी दीख रहा है क्योंकि सरकार के सामने मुख्य मांगें जल्द से जल्द रखना और ऊस पर संवाद कायम करना अनिवार्य होगा ।

वरना चारों तरफ से आदिवासी आंदोलन के जरिये उत्पन्न हो रही ऊर्जा का सही परिणाम नही मील पायेगा बल्कि ढेरों साथी निराशाजनक स्थिति में पहुंचेंगी ।

सभी साथी जीस ऊर्जा से आज लगे है वह जमीन नहीं देंगे के साथ साथ सरकार क्या सुविधाए उपलब्ध करवाने की बात कर रही है ऊस पर बात करें एवं पहले जीन लोगो की जमीन केवडिया में सरकार ने संपादित की है ऊन साथीयो की स्थिति का ब्योरा पत्रकार,कर्मशील,राजनैतिक लोगों को करना चाहिए ताकि तमाम स्थिति पर सही जानकारी और पुरे आंदोलन के केंद्र में विस्थापित रहे जिससे यह आंदोलन का राजनैतिक हथियार के तौर पर केवल सत्ता परिवर्तन के उद्देश्य से कोई उपयोग ना कर जायें और सच में केवडिया के आदिवासी साथीयो की स्थिति बेहतर रहे जो सबका आशय है ।

वही जीतता है जो संघर्ष करता है बीना झुकें अपने हक की बात करते रहना जरुरी है तो आवाज लगाते रहीए हम सब आपके अधिकार की ईस लडाई में केवडिया के आदिवासी साथियो के साथ है ।

रोमेल सुतरिया
(राजनैतिक युवा कर्मशील)

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